Posted on: September 29, 2020 Posted by: Pooja Kumari Comments: 0
A closer look at

ये कहानियां हैं,
कविताएं हैं,
वो बातें हैं,
जिनमें मैं हूं, तुम हो, हम हैं,
और वो भी हैं जिन्हें हम भूल गए थे,
और कुछ अजनबी भी |
ये संवाद हैं..
जिनमें तुम खुद से मिलोगे,
मैंने पाया और शायद तुम भी मिल पाओगे,
अपने उस परिवार से जिसे उस छोटे शहर में छोड़ आए हो,
हर महीने तनख्वाह जहां पहुंच जाती है पर तुम्हारी आवाज़ और उनके दिल की बात कहने का समय बट गया है ,
तो इस किताब में वो बातें भी हैं |

वो पल जिन्हें तुम जी चुके हो और जीना चाहते हो,
वो सभी पल संजोए हैं इस किताब ने |
इस ‘संवाद’ में तुम्हारा सफरनामा भी है,
बचपन से बुढ़ापे का सारा लेखा-जोखा भी है |
जो बीत गया और जो बीत रहा,
वो सब यहां ठहर गया |

इस किताब में कुछ अक्षर हैं,
कुछ शब्द हैं और उन्हें जोड़कर बनी संवाद की बनी संवाद की जोड़कर बनी संवाद की बनी संवाद की डोर है |
तुम्हारे अजी़ज़ दोस्तों ने इस डोर को,
जज़्बातों से खींचकर,
अमर कर दिया है |

याद है क्या,पहली मोहब्बत का वो,
बचकाना इज़हार?
और वो दोस्तों की बात जिन पर जां थी निसार?
और वो भी…
वो दिल टूटने पर पहली शायरी?
सब बटोर कर इस किताब ने खुद को रंगीन कर लिया |
पल-पल की बातें चुन-बुनकर,
एक बार फिर,
एक किताब ने ‘जिंदगी और संवाद’ को आफ़रीन करार दिया ||

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